Tuesday, April 22, 2008

Uncensored scene from Maya Memsaab... Now really uncensored!

एक 15 साल पुरानी लो प्रोफाइल फिल्म माया मेमसाब अचानक चर्चा का विषय बन गई है। फिल्म के किसी दृश्य के कारण नहीं, बल्कि सेंसर किए गए एक सीन के कारण। इस सीन में आज के सुपर स्टॉर शाहरूख खान और फिल्म के निर्माता केतन मेहता की पत्नी दीपा मेहता के अंतरंग दृश्य हैं। अब तक न देखे गए इस सीन को किसी वीडियो शेयरिंग साइट यू ट्यूब में डाल दिया। यह वीडियो क्लिब सबके आकर्षण का केंद्र बन गया है।

माया मेमसाब(1993) मंगल पांडे जैसी फिल्म बनाने वाले केतन मेहता की एक आर्ट फिल्म थी। इसकी प्रमुख पात्र माया (दीपा मेहता) कई लोगों से विवाहेतर संबंध बनाती है। इसमें से एक युवक ललित(शाहरुख खान) उससे उम्र में कहीं छोटा है। मौलिक फिल्म में दोनों को बिस्तर पर एक साथ लेटे भर दिखाया गया था। लेकिन हालिया वीडियो दर्शकों को कल्पना करने के लिए कुछ भी नहीं छोड़ता। इसमें दोनों के बीच आक्रमक कामुक दृश्य हैं। यह दृश्य बेहद उत्तेजक हैं।

इस वीडियो के बारे में अभिनेत्री दीपा मेहता ने मुंबई के एक टेबलॉइड को बताया कि उन्हें इस अंतरंग वीडियो के इंटरनेट पर उपलब्ध होने की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि हो सकता है किसी ने डीवीडी से लोड करके इसे इंटरनेट पर डाल दिया हो।

कुछ भी सेंसर नहीं था
दीपा ने कहा कि माया मेमसाब पर सेंसर बोर्ड ने कोई कैंची नहीं चलाई थी। यह जैसी की तैसी सिनेमा में गई थी। हालांकि उन्होंने इस कामुक दृश्य के बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। उनकी इंटरनेट पर जाकर इसे देखने की कोई हसरत नहीं है। उनके पति और केतन मेहता का कहना है कि यह हो ही नहीं सकता कि इंटरनेट पर फिल्म से अधिक हो।

कोई आपत्ति नहीं
यह सीन 15 साल बाद कैसे इंटरनेट पर आया कैसे दीपा यह सोचकर समय जाया नहीं करना चाहती। उन्हें इससे रत्ती भर भी आश्चर्य नहीं। अगर मौलिक फिल्म में कोई दृश्य था तो उसे इंटरनेट पर आना ही था। आखिर इस पर इतना हंगामा क्यों। 50 साल पहले के मुकाबले भारत आज कहीं ज्यादा आजाद है।

माया मेमसाब(1993)
माया(दीपा महेता) बड़े सपने देखने और अपनी शारीरिक, भावनात्मक हसरतों को पूरा करने में यकीन रखती है। उसके पिता एक बार सीढ़ी से गिर जाते हैं। उनका इलाज करने आए डॉ चारू दास(फारूख शेख) से उसे प्यार हो जाता है। जल्दी ही दोनों शादी कर लेते हैं।

शादी के बाद धीरे-धीरे माया एक छोटे कस्बे और मध्यवर्गीय जीवन से ऊबने लगती है। उसके लिए अपनी हसरतों को रोकना मुश्किल हो जाता है और वह कई लोगों से विवाहेतर संबंध बनाती है। पहले ठाकुर रुद्र प्रताप सिंह(राज बब्बर) के साथ फिर अपनी उम्र से बेहद छोटे ललित(शाहरुख खान) के साथ। फिल्म का अंत अपनी इन अर्थहीन ख्वाहिशों के दलदल में फंसकर माया के आत्महत्या कर लेने के साथ होता है।